कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 15-17 जून को कनानसकीस में होने वाले आगामी जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है. इसके बाद केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन को लेकर कांग्रेस की आलोचनाओं का जवाब दिया है.
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि कई दिनों से राहुल गांधी द्वारा संचालित कांग्रेस पार्टी की Premature Celebration Committee (पीसीसी) इस बात पर खुशी मना रही थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस महीने के अंत में कनाडा में होने वाली जी-7 बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया.
कांग्रेस पार्टी को फिर मुंह की खानी पड़ी
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी इस बात को पूरी तरह भूल चुके हैं कि विपक्षी दलों को किस तरह व्यवहार करना चाहिए और अब वे कथित विफलताओं और फर्जी खबरों का जश्न मना रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनकी नफरत राष्ट्र के प्रति नफरत में बदल गई है. वह भारत को प्रगति करते और विकास करते हुए बर्दाश्त नहीं कर सकते और चाहते हैं कि भारत असफल हो जाए. हालांकि, हमेशा की तरह इस बार भी राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है.
उन्होंने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क जे कार्नी ने इस महीने के अंत में कनाडा के कनानसकीस में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया और यह भी स्पष्ट किया कि विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और अनेक वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए केन्द्रीय देश के रूप में भारत को इस शिखर सम्मेलन में शामिल होना चाहिए.
लोकप्रिय जनादेश का अनादर कर रहे हैं राहुल गांधी
उन्होंने कहा कि आज भी, चुनाव आयोग द्वारा कई बार स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद भी राहुल गांधी भारत की चुनाव प्रक्रिया और हमारी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को कमजोर करने की कोशिश करते हुए वही फर्जी खबरें फैलाना जारी रखे हुए हैं. भारत को एक भारत समर्थक विपक्षी पार्टी और विपक्षी नेता की आवश्यकता है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी की धोखे, झूठ और विभाजनकारी राजनीति एक असफल नेता और एक असफल पार्टी का उत्कृष्ट उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शहजादे – एक निराश और असफल वंशवाद, को लोकप्रिय जनादेश का अनादर करने और वैधानिक निकायों के कामकाज की आलोचना करने के बजाय, आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि वे चुनाव दर चुनाव क्यों हार रहे हैं और लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास क्यों जता रहे हैं.